Shayari
कहीं ऐसा न हो मैं तुझको शर्मसार कर बैठूँ
तू कुछ सवाल रहने दे मैं कुछ जवाब रहने दूँ आग लगाने वालो को कहाँ इसकी खबर हैं,
रुख हवाओ का बदला तो खाक वो भी होंगे
रुख हवाओ का बदला तो खाक वो भी होंगे
लम्हा दर लम्हा साथ ऊमर बीत ज़ाने तक
मोहब्बत वहीं हैं ज़ो चले मौत आने तक
मोहब्बत वहीं हैं ज़ो चले मौत आने तक
हवाओं की भी अपनी अजब सियासतें हैं
कहीं बुझी राख भड़का दे कहीं जलते चिराग बुझा दे
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